Bikaner : पुण्यतिथि पर साहित्यकार ओमप्रकाश वाल्मीकि को याद किया, आत्मकथा “जूठन” की 21 पुस्तकें भेंट
RNE Bikaner.
“चूल्हा मिट्टी का, मिट्टी तालाब की, तालाब ठाकुर का..” जैसी चर्चित कविता वाले कवि ओमप्रकाश वाल्मीकि को पुण्यतिथि के मौके पर बीकानेर में श्रद्धांजलि दी गई। वाल्मीकि यूथ क्लब के बैनर तले हुए इस आयोजन में साहित्यकार ओम प्रकाश वाल्मीकि की आत्मकथा की प्रतियां वितरित की गई।
क्लब के छोटी गुवाड़ स्थित कार्यालय में श्रद्धांजलि सभा की अध्यक्षता करते हुए प्रदेश अध्यक्ष राहुल जादुसंगत ने कहा, ओमप्रकाश वाल्मीकि ने हिंदी साहित्य की लगभग हर विधा में अपनी कलम चलाई।
कहानी, कविता, आत्मकथा, आलोचना और नाटक लिखे। अंग्रेजी और मराठी साहित्य का हिंदी में अनुवाद भी किया। वे रंगकर्मी भी थे और 60 से अधिक नाटकों में अभिनय, मंचन एवं निर्देशन किया।
उनकी कविता ‘ठाकुर का कुआं’ दलित जीवन को प्रदर्शित करती मार्मिक कविता है तो समाजिक व्यवस्था पर तीखा कटाक्ष करती है। अपनी आत्मकथा “जूठन” से उन्हें विशेष ख्याति मिली है।
सामाजिक कार्यकर्ता मुकुल वाल्मीकि, वाल्मीकि यूथ क्लब अध्यक्ष साजन कुमार जावा, तरुण पंडित, पूनम कंडारा,सुनिल,चांवरिया, बोबी हटवाल,काशीराम चांवरिया,चैनसिंह गहलोत, नसीर अहमद, मोहम्मद रमजान, बंदूखां, हरिकिशन चौरसिया आदि मौजूद है।